रक्तचाप की जांच कैसे की जाती है?
शरीर के सारे अंगों तक रक्त पहुंचाने के लिए हमारा हृदय रक्त को एक खास दबाव पर पंप करता है और इसी दबाव को रक्तचाप या ब्लड प्रेशर कहते हैं।
बीपी क्या होता है?
ये समझने के लिए रक्त चाप होता क्या है? हृदय द्वारा पंप किया गया रक्त रक्त वाहिनियों में आता है और इनकी दीवारों पर दबाव बनाता है, इसी का BP या ब्लड प्रेशर कहते हैं…….और पढ़े।
BP Instrument: रक्तदाबमापी या Sphygmomanometer से पहचान
बीपी नापने के लिए रक्तदाबमापी या Sphygmomanometer (स्फिग्मोमैनोमीटर) का इस्तेमाल होता है। इसे बी.पी. एपरेटस (B.P.APPARATUS) भी कहते हैं।
इसमें नॉब, कफ, रबर ट्यूब, रबर वाल्व, रबर वाल्व और गेज होता है।
कपड़े से बने हिस्से को कफ कहते हैं और इसे ऊपरी बांह पर बांधते हैं। इससे दो रबर ट्यूब्स जुड़ी होती हैं। इनमें से एक ट्यूब आगे जाकर गेज से जुड़ी होती है और दूसरी एस वाल्व से जुडी होती है।
गेज एक पट्टी होती है, जिससे पता चलता है कि ब्लड प्रेशर कितना है। इसके बीचों बीच एक पतली नली होती है जिसमें Mercury यानी पारा ऊपर नीचे जा सकता है।
नॉब ब्लड प्रेशर नापते समय हमेशा आड़ी स्थिति में होना चाहिए।
रबर बल्ब में स्क्रू जैसा एक वाल्व होता है। इसे बंद करने और चालू करने के लिए घुमाया जाता है।
चलो अब देखते हैं कि ब्लड प्रेशर कैसे मापा जाता है।
ब्लड प्रेशर कैसे नापते है? (bp kaise check kare)
सबसे पहले डॉक्टर मरीज को आराम से बैठने के लिए कहते हैं।
मरीज का हाथ ऐसी स्थिति में होना चाहिए और पैर फर्श को छूने चाहिए।
बीपी या पार्ट्स खोला जाता है।
कफ निकालकर उसे मरीज की कोहनी से दो अंगुल ऊपर बांधते हैं। फिर सुनिश्चित करते हैं कि का बहुत कसा हुआ या बहुत ढीला तो नहीं है।
उसके बाद स्टेथोस्कोप अपने कानों पर लगाते हैं।
चेस्ट पीस में उंगलियों से आवाज करके पता लगाते हैं कि आवाज ठीक से आ रही है या नहीं।
स्टेथोस्कोप के चेस्ट पीस को कोहनी के बीच लगाते हैं की इसकी चिकनी गोल सतह को त्वचा के साथ पूरी तरह से संपर्क में होना चाहिए।
दूसरे हाथ से रबड़ बल का वाल्व बंद करते हैं और
रबर बल्ब को पंप करते हैं।
गेज का पारा ऊपर जाने लगता है। साथ ही कफ में भी हवा भर जाती है। इस हवा के दबाव की वजह से रक्त प्रवाह थोड़ी देर के लिए बंद हो जाता है।
जब पारा 160 या 180 तक पहुंच जाता है तो डॉक्टर रबर वाल्व को पंप करना बंद कर देते हैं।
वाल्व को उल्टी दिशा में घुमाया जाता है।
अब हाथ से दबाव कम हो जाता है। पारा धीरे धीरे नीचे आता है। पारा नीचे आते समय रक्त प्रवाह फिर से शुरू हो जाता है।
उसी समय डॉक्टर को स्टेथोस्कोप को सिर धक-धक-धक की आवाज सुनाई देती है।
इस आवाज की शुरुआत होने पर पारा जिस स्तर पर होता है उसे दर्ज कर लेते हैं और इसे सिस्टोलिक ब्लड प्रेशर (Diastolic blood pressure) कहते हैं, मान लो आवाज 110 पर आना शुरू हुई है।
पारा नीचे आते समय यह धक-धक आवाज आती रहती है और एक जगह पर बंद हो जाती है
आवाज बंद होने पर पारा जिस स्तर पर होता है, उसे डायस्टोलिक ब्लड प्रेशर (Systolic blood pressure) के रूप में दर्ज करते हैं। यहां पारा 70 पर पहुँचने पर यह आवाज आनी बंद हो गई है
तो वाल्व को पूरा घुमाया जाता है। डॉक्टर कफ में बची हुई हवा को निकाल देते हैं
स्टेथोस्कोप को कान से निकालते हैं
मरीज के ऊपरी भाग में लगे कफ को हटाते हैं और
बीपी या पार्टस उचित जगह पर रख देते हैं।
क्या तुम उस मरीज का ब्लड प्रेशर बता सकते हो जिसे हमने इस उदाहरण में देखा है
वह है 110 सिस्टोलिक और 70 डायस्टोलिक या 110 over 70 mm of mercury
इसे ऐसे लिखा जाता है- 110/70 mm Hg
mm Hg ब्लड प्रेशर को मापने की इकाई है।
Normal BP Range
120/80 mmHg यह सामान्य ब्लड प्रेशर होता है।
ब्लड प्रेशर 140/90 mm Hg से ज्यादा हो तो उसे हाई ब्लड प्रेशर कहते हैं और अगर यह 100/60 mm Hg से कम हो तो इसे लो ब्लड प्रेशर कहा जाता है।
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